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छत्तीसगढ़ में कोयले के लिए जंगल की कटाई फिर शुरू, विरोध के बीच काटे जा रहे 11 हजार पेड़…

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरंड क्षेत्र में परसा ईस्ट और केते बासेन (PEKB) चरण-दो कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुक्रवार को स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बीच फिर से शुरू हो गई।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए इलाके में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हसदेव क्षेत्र में कोयला खनन का विरोध कर रहे 100 से अधिक ग्रामीणों को हिरासत में लिया है।

हालांकि पुलिस ने इस आरोप से इनकार किया। पीईकेबी खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) को आवंटित है।

अब तक काटे जा चुके 3700 पेड़

राज्य वन विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को उदयपुर विकास खंड में प्रस्तावित 74.130 हेक्टेयर वन भूमि (पीईकेबी चरण-दो खदान के लिए) में से 32 हेक्टेयर में पेड़ों की कटाई शुरू की गई।

अब तक 3,694 पेड़ काटे जा चुके हैं। शेष पेड़ों की कटाई जारी है।

बयान में कहा गया है कि चूंकि यह क्षेत्र संवेदनशील है, इसलिए पेड़ों की कटाई शांतिपूर्ण ढंग से करने के लिए जिला पुलिस बल, जिला प्रशासन और वन अधिकारियों की एक संयुक्त दल का गठन किया गया है।

इसमें कहा गया है कि खदान क्षेत्र के पास के गांवों के कुछ निवासी इस कार्य में बाधा डाल रहे थे। उन्हें प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं करने के लिए राजी किया गया है।

RVUNL को साल 2007 में आवंटित पीईकेबी ब्लॉक में 762 हेक्टेयर भूमि में खनन का पहला चरण, केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 2012 में अंतिम अनुमोदन के बाद 2013 में शुरू किया गया था और वहां खनन पूरा हो गया है।

दी 11 हजार पेड़ों को काटने की अनुमति

राज्य वन विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रालय ने 2022 में पीईकेकेबी चरण-दो खदान (सरगुजा) के लिए 1,136 हेक्टेयर वन भूमि की अनुमति दी है।

RVUNL को इस वर्ष 21 अगस्त को अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) छत्तीसगढ़ द्वारा और अगले दिन 22 अगस्त को मुख्य वन संरक्षक, सरगुजा वनवृत्त द्वारा परियोजना के 10वें वर्ष में 74.130 हेक्टेयर वन भूमि के क्षेत्र में खड़े 10,944 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई है।

इसमें कहा गया है कि 74.130 हेक्टेयर वन भूमि के क्षेत्र में कुल 10,944 पेड़ों की कटाई और परिवहन की अनुमति वन रेंज अधिकारी, उदयपुर (उत्पादन) को दी गई थी।

हसदेव अरंड बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले स्थानीय ग्रामीण कई वर्षों से खदानों के आवंटन का विरोध कर रहे हैं।

वन विभाग ने पहले भी पीईकेबी चरण दो कोयला खदान की शुरुआत का रास्ता साफ करने के लिए पेड़ों की कटाई शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के कड़े विरोध के कारण अधिकारियों को अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ी थी।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला, जो इन कोयला खदानों के आवंटन के विरोध में सबसे आगे रहे हैं, ने शुक्रवार को कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक बार फिर राज्य सरकार ने पीईकेबी चरण दो के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है।

इससे पहले भी पेड़ों को काटने की कोशिश की गई थी। स्थानीय ग्राम सभाओं ने क्षेत्र में कोयला खदान के लिए अपनी सहमति नहीं दी है।

सरकार ने पारित किया था प्रस्ताव

शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 2022 में (पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान) सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था कि हसदेव क्षेत्र में खनन गतिविधियां नहीं की जाएंगी। उस प्रस्ताव का सम्मान करने के बजाय नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने भारी सुरक्षा बल तैनात करके पेड़ों की कटाई शुरू कर दी।

उन्होंने यह भी दावा किया कि विरोध करने वाले ग्रामीणों को पुलिस ने हिरासत में लिया।

शुक्ला ने कहा कि हम इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और वनों की कटाई को तुरंत रोकने की मांग करते हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार कॉर्पोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए आदिवासी समुदायों के अधिकारों को छीन रही है।

सरगुजा के पुलिस अधीक्षक योगेश पटेल ने ग्रामीणों को हिरासत में लिए जाने के दावों से इनकार किया और कहा कि एहतियात के तौर पर पुलिस ने उन्हें अन्य स्थानों पर भेज दिया है क्योंकि पेड़ों की कटाई का काम चल रहा था।

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