Home राज्यछत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़-रायपुर में चल रही ’’जैविक कृषक खेत पाठशाला’’, किसान सीख रहे जैविक खेती के वैज्ञानिक तरीके

छत्तीसगढ़-रायपुर में चल रही ’’जैविक कृषक खेत पाठशाला’’, किसान सीख रहे जैविक खेती के वैज्ञानिक तरीके

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रायपुर.

रायपुर:जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में कृषि विभाग की अभिनव पहलजिला प्रशासन के मार्गदर्शन में कृषि विभाग, निर्माण एनजीओ एवं अन्य समन्वित विभागों के द्वारा जिले के चारो विकासखंडों के 220 ग्रामों में ’’जैविक कृषक खेत पाठशाला’’ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है। इस पाठशाला’’ के माध्यम से प्रशिक्षण में किसानों को कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि गांव में ही किसान श्रीविधि या अन्य तकनीक से उन्नत जैविक खेती कर रहे हैं, उनके खेतों में ही पाठशाला प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है।

उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी कृषि वैज्ञानिक, जैविक  कृषि विशेषज्ञ, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, प्रगतिशील कृषक, जैविक कार्यकर्ता, कृषि सखी, पशु सखी, कृषक मित्र भी भाग ले रहे है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि ’’कृषक खेत पाठशाला’’ का आयोजन तीन चरणों में किया जा रहा है पहले पहले चरण में बुवाई रोपाई तथा निंदाई के समय खेती में विशेष सावधानियां बरतने के बारे में कृषकों को जानकारी दी जाती है। फिर उन्हें जैविक खाद, जैविक दवा के बनाने तथा उसके उपयोग के बारे में प्रायोगिक जानकारी से अवगत कराया जाता है। दूसरे चरण में पौधे की ग्रोथ अवस्था में उपयुक्त जैविक खाद या जैविक दवा के उपयोग एवं तृतीय और अंतिम चरण में फसल कटाई के अवसर पर सावधानियां को भी विस्तार पूर्वक बताया जाता है। इस प्रशिक्षण पाठशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य उन्हें प्राप्त कराना है। सभी प्रकार की उन्नत खेती के तकनीक के बारे में भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विस्तार से चर्चा की जाती है और सबसे बड़ी बात तो यह है इस पाठशाला के अन्तर्गत अन्य किसानों को उनकी स्थानीय भाषा में ही समझाइश दिया जाता है जिससे सभी को आसानी से समझ में आ जाए और अंत में सभी कृषकों से शपथ दिलाई जाती है कि वह अपने खेतों में भी आने वाले वर्षों में इस पद्धति का उपयोग कर अपने खेत का उत्पादन को बढ़ाएंगे। ’’कृषक खेत पाठशाला’’ निश्चित ही जिला प्रशासन दंतेवाड़ा की एक अभिनव प्रयास है जो अधिक से अधिक  किसानों को जैविक कृषि से जोड़ने का एक माध्यम बनेगा, ताकि कृषको को उनकी फसलों का अधिकतम मूल्य प्राप्त हो सके।

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