अहमदाबाद। सात साल पहले 2017 में 42 करोड़ की लागत से बनाया गया पुल अब किसी काम का नहीं रहा। अब इस हाटकेश्वर पुल को तोड़कर दोबारा से बनाया जाएगा। इस बार इसकी लागत 52 करोड़ रुपये होगी। अहमदाबाद नगर निगम ने पुल के पुनर्निर्माण के लिए चौथा टेंडर जारी किया है। पुल के पुनर्निर्माण की यह राशि उसी कंपनी से वसूली जाएगी जिसने इसे बनाया था। पुल की जर्जर हालत के मद्देनजर सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण पिछले दो सालों से यह पुल बंद है। एएमसी में विपक्ष के नेता शहजाद खान पठान ने हाटकेश्वर बुल को इंजीनियरिंग विफलता और भ्रष्टाचार का प्रमुख उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि अजय इंफ्रा द्वारा निर्मित इस पुल का उद्घाटन नवंबर 2017 में हुआ था, लेकिन मार्च 2021 में एक गड्ढे के कारण इसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
पठान ने कहा, अगस्त 2022 में बनी स्थिरता रिपोर्ट में असुरक्षित पाए जाने के बाद पुल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। पुनर्निर्माण सहित पुल की कुल लागत केवल पांच वर्षों में 94 करोड़ रुपये होगी और यह राशि अजय इंफ्रा कंपनी से वसूल की जानी चाहिए।उन्होंने कहा, अगस्त 2022 में बनी स्टेबिलिटी रिपोर्ट में असुरक्षित पाए जाने के बाद पुल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। पुनर्निर्माण सहित पुल की कुल लागत केवल पांच वर्षों में 94 करोड़ रुपये होगी और यह राशि अजय इंफ्रा कंपनी से ही वसूल की जानी चाहिए।रिपोर्ट के अनुसार, एएमसी की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष देवांग दानी ने एक साक्षात्कार में कहा, हाटकेश्वर पुल को नुकसान के कारण बंद कर दिया गया था। एएमसी ने इसे तोड़ने और पुनर्निर्माण के लिए तीन टेंडर निकाले थे, लेकिन किसी भी कंपनी ने जवाब नहीं दिया। चौथे प्रयास में, राजस्थान की एक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को लेने पर सहमति जताई। एएमसी का लक्ष्य 15 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी करना और अगले 18 महीनों में नया पुल तैयार करना है। वहीं, देवांग दानी ने बताया कि पुल के पुनर्निर्माण लागत का आंकलन जारी है, जबकि गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने पुष्टि की कि इसकी तोड़फोड और पुनर्निर्माण पर 52 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जो मूल ठेकेदार से वसूल किए जाएंगे। इसके जवाब में पठान ने पूछा कि जब अहमदाबाद में अन्य नए पुलों के निर्माण में 100 करोड़ से अधिक की लागत आ रही है, तो इस पुल के पुनर्निर्माण में केवल 52 करोड़ रुपये की लागत ही क्यों आएगी। उन्होंने यह भी पूछा कि सभी नए पुलों पर लागत बचाने का ऐसा ही तरीका क्यों नहीं अपनाया जा सकता। अहमदाबाद कांग्रेस के शहर अध्यक्ष हिम्मत सिंह पटेल ने भी चिंता जताते हुए सवाल किया कि हाटकेश्वर पुल मामले में शामिल ठेकेदार और अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच क्यों नहीं की गई। उन्होंने भाजपा पर कार्रवाई से बचने और ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का चुनिंदा तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
42 करोड़ का पुल 7 साल में हुआ जर्जर,अब 52 करोड़ में दोबारा बनेगा
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