Home राज्यछत्तीसगढ़ दुर्गा पूजा पंडालों के लिए नियमानुसार विद्युत कनेक्शन की अनुमति लें

दुर्गा पूजा पंडालों के लिए नियमानुसार विद्युत कनेक्शन की अनुमति लें

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भिलाई

इस्पात नगरी भिलाई में पूरे धूम-धाम से नवरात्री मनाया जाता है, जिसका शुभारंभ इस 3 अक्टूबर  से हो रहा है। जिसके तहत भिलाई इस्पात संयंत्र के टॉउनशिप में विभिन्न स्थानों पर अनेक पूजा-पण्डालों का निर्माण किया जाता है।

इन पूजा-पण्डालों में विद्युत का उपयोग करने के साथ- साथ सजावट हेतु सड़क मार्ग के ऊपर खंबे भी लगाए जाते हैं, जिससे गंभीर विद्युतीय दुर्घटना हो सकती है। अत: भिलाई इस्पात संयंत्र दुर्गोत्सव कार्यक्रम आयोजकों से अपील करता है, कि वे विधिवत् विद्युत प्रदाय प्राप्त करने हेतु सिविक सेन्टर स्थित नगर सेवाएं विभाग के नगर विद्युत अभियांत्रिकी विभाग से आवश्यक विभागीय औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए अनुमति अवश्य प्राप्त करें। साथ ही निर्धारित विद्युत शुल्क जमा कर अधिकृत विद्युत ठेकेदार द्वारा परीक्षण प्रपत्र प्रस्तुत करके ही विद्युत का सुरक्षित उपयोग करें।

ज्ञात हो कि इन दिनों बड़ी संख्या में श्रद्धालु पण्डालों में एकत्रित होते हैं तथा सड़क मार्ग से यात्रियों की आवाजाही हमेशा बनी रहती है। ऐसी परिस्थिति में अनियोजित विद्युतीय व्यवस्था के कारण कभी भी गंभीर विद्युतीय दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। विद्युत की चोरी, दुरूपयोग अथवा असुरक्षित उपयोग से न केवल जानमाल की क्षति की आशंका बनी रहती है बल्कि संयंत्र को व्यापक पैमाने पर आर्थिक क्षति भी हो सकती है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अर्थिंग पिट और उसमें लगे अर्थिंग इलेक्ट्रोड ठीक से काम कर रहे हों। बिजली के तार ठीक से इंसुलेटेड हों और कहीं भी कटे या खुले न हों।

भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार सभी पर्याप्त सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। अत: टॉउनशिप के समस्त दुर्गा पूजा आयोजकों से अपील है कि वे नियमानुसार विद्युत का कनेक्शन लेवें एवं सुरक्षित व वैधानिक रूप से विद्युत का उपयोग करें। यह सुनिश्चित करें कि विद्युत का व्यवसायिक उपयोग नहीं किया जा रहा है। विभाग को विद्युत प्रदाय के तारों में कटिया लगाकर बिजली चोरी की शिकायत मिलने पर पूजा- पण्डाल आयोजकों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। नियमानुसार विद्युत प्रयोग न करने की स्थिति में यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो इसके लिए भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है।

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