Home देश आक्रमणकारियों और अंग्रेजों की मानसिकता… मंदिरों पर सरकारी कब्जे के खिलाफ विहिप का अभियान…

आक्रमणकारियों और अंग्रेजों की मानसिकता… मंदिरों पर सरकारी कब्जे के खिलाफ विहिप का अभियान…

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तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी को लेकर पूरे देश में विवाद बढ़ा हुआ है।

इसके बाद अब विश्व हिंदू परिषद यानी विहिप ने मंगलवार को देश भर के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से छुड़ाने के के लिए एक अभियान की घोषणा की है।

मंदिरों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विहिप ने कहा है कि सरकार द्वारा मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेना मुस्लिम आक्रमणकारियों और अंग्रेजों की मानसिकता को दर्शाता है।

विहिप ने यह भी कहा है कि अब मंदिरों का सरकारीकरण नहीं समाजीकरण होना चाहिए।

संगठन द्वारा तिरुपति में संतों का एक सम्मेलन आयोजित करने और मंदिर बोर्ड द्वारा प्रसाद की पवित्रता को बहाल करने के लिए “शुद्धिकरण अनुष्ठान” किए जाने के एक दिन बाद विहिप ने यह घोषणा की है।

मंगलवार को विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सरकारें मंदिरों का इस्तेमाल उनकी संपत्ति लूटने और उन राजनेताओं को जगह देने के लिए कर रही हैं जिन्हें सरकार में जगह नहीं मिल पाई।”

रेंद्र जैन ने कहा कि प्रसाद में जानवर की चर्बी के साथ मिलावट ने पूरे हिंदू समाज को नाराज कर दिया है।

‘संतों के मार्गदर्शन में मंदिरों का प्रबंधन करेगा समाज’

इस मौके पर विहिप ने दावा किया कि केरल के सबरीमाला जैसे कई अन्य मंदिरों से भी इस तरह की मिलावट की खबरें आ रही हैं।

उन्होंने इसे हिंदू समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया। सुरेंद्र जैन ने कहा, “इन सभी घटनाओं के बीच एक आम कड़ी यह है कि ये सभी मंदिर सरकारों के नियंत्रण में हैं। समस्या का एकमात्र स्थायी समाधान मंदिरों को सरकारों के नियंत्रण से मुक्त करना और उन्हें समाज को सौंपना है। संतों के मार्गदर्शन में समाज मंदिरों का प्रबंधन करेगा।”

अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं- सुरेंद्र जैन

सुरेंद्र जैन ने मंदिरों को सरकारों द्वारा चलाने को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, “अनुच्छेद 12 कहता है कि राज्य का कोई धर्म नहीं है।

फिर उन्हें मंदिर चलाने का अधिकार किसने दिया? अनुच्छेद 25 और 26 हमें अपने संस्थान चलाने का अधिकार देते हैं। अगर अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं।

ऐसा लगता है कि एक पैटर्न है। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को नष्ट कर दिया और उन्हें लूट लिया। अंग्रेज चालाक थे और उन्होंने मंदिरों पर नियंत्रण कर लिया।

इस तरह उन्होंने मंदिरों को लूटने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था स्थापित की। दुर्भाग्य से आजादी के बावजूद हमारे राजनेता खुद को इस औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त नहीं कर पाए।

मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण उसी मानसिकता को दर्शाता है। यह लूट अब बंद होनी चाहिए।”

सभी राज्यों में रैलियां आयोजित करेगी विहिप

भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा कि अकेले तमिलनाडु सरकार के अधीन 400 से अधिक मंदिर हैं और आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में राज्य ने इन मंदिरों में 50,000 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया है।

विहिप के मुताबिक अभियान के पहले चरण में संगठन सभी राज्यों की राजधानियों में विरोध में रैलियां आयोजित करेगी और मुख्यमंत्रियों को मांगों का ज्ञापन देगी।

उन्होंने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो उसके बाद कानूनी कदम भी उठाए जाएंगे। और अगर यह पर्याप्त नहीं है तो हम भविष्य में और आंदोलन भी शुरू कर सकते हैं।”

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