मुंबई। महाराष्ट्र सहित देश भर के सभी राज्यों में दवाइयों की जांच करने के लिए ड्रग इंस्पेक्टर का अमला ही नहीं है। ड्रग और कॉस्मेटिक की जांच करने के लिए पर्याप्त संख्या में लैबोरेट्री नहीं है। राज्य सरकारों ने ड्रग इंस्पेक्टर्स के पद कभी नहीं बढ़ाये। जो पद 30 साल पहले स्वीकृत थे। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद नई भर्ती नहीं की गई। जिसके कारण तीन दशक पहले की स्वीकृत संख्या में किसी भी राज्य में ड्रग इंस्पेक्टर उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण दवाइयों और दवा दुकानों की जांच संभव नहीं हो पा रही है।
महाराष्ट्र में 200 ड्रग इंस्पेक्टर के पद स्वीकृत हैं। इसमें से 120 पद खाली पड़े हुए हैं।जो ड्रग इंस्पेक्टर रिटायर हो गए। उसके बाद उन्हें भरा ही नहीं गया। यही स्थिति लगभग सभी राज्यों की है। दवा का कारोबार और अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ती रही। केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा दवाइयां की गुणवत्ता और उसकी बिक्री को लेकर मरीजों को दवा कंपनियों के भरोसे पर छोड़ दिया गया है।
जब नकली दवा का सारा कारोबार सामने आया, इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया राज्यों द्वारा शुरू की जा रही है। मध्य प्रदेश गुजरात इत्यादि राज्यों में भी एक-एक ड्रग इंस्पेक्टर को कई जिलों का प्रभार सोपा गया है। जिसके कारण ना तो वह दवा दुकानों में बिकने वाली दवाइयां की जांच कर पा रहे हैं। नाही अस्पतालों में सप्लाई हो रही दवाइयां की जांच हो पा रही है।वर्तमान स्थिति को देखते हुए यही कहा जा सकता है। मरीज भगवान के भरोसे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों को कोई चिंता अपने नागरिकों की नहीं है।
बिना जांच के हर महीने बाजार में बिक रही हैं करोड़ों की दवाइयां
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