आरा । लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की राजनीति में बढ़ती महत्वकांक्षाएं और भाजपा से बढ़ती दूरी अब बिहार की राजनीति को नए मोड़ पर ला सकती हैं। चिराग ने हाल ही में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर लड़ाने की घोषणा की थी, जो भाजपा के लिए चिंता का कारण बन गई है। इस घोषणा से साफ हो गया है कि चिराग अब अपने राजनीतिक रास्ते पर अकेले ही आगे बढ़ने को तैयार हैं। चिराग का यह कदम भाजपा के लिए एक नए राजनीतिक चुनौती का संकेत हो सकता है, खासकर तब जब उनकी नजदीकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बढ़ रही है।
भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकती ये नजदीकियां
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग अब भाजपा से बात न बनने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश के साथ अपनी राजनीतिक पटरी जोड़ने में लगे हैं। यह संभव है कि नीतीश कुमार और चिराग मिलकर एक नया गठबंधन बनाएंगे, जिसमें वाम दल, लोजपा (आर), बसपा और अन्य छोटे दल शामिल हो सकते हैं। इस नए गठबंधन का मकसद भाजपा और राजद को छोड़कर एक नए विकल्प के तौर पर विधानसभा चुनाव में उतारना है। अगर यह गठबंधन बनता है, तब यह भाजपा के लिए बड़ा संकट बन सकता है, क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान एक मजबूत गठबंधन भाजपा के लिए परेशानी पैदा कर सकता है।
चिराग की विदेश यात्राओं पर भी भाजपा की नजरें
चिराग की विदेश यात्राओं पर भी भाजपा की नजरें टिकी हुई हैं। उन्होंने हाल ही में अमेरिका, पेरिस और लंदन की यात्रा की है, इससे सवाल उठने लगा है कि चिराग पासवान भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा को यह डर है कि चिराग पासवान का यह बढ़ता प्रभाव उनके समर्थक वोट में विभाजन का कारण बन सकता है। इसके पहले चिराग ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था, लेकिन अब उनकी राजनीति की दिशा भाजपा से दूर होती जा रही है।