Home राजनीती चुनाव की घोषणा से पहले ही गरमाया राष्ट्रीय राजधानी का राजनीतिक माहौल

चुनाव की घोषणा से पहले ही गरमाया राष्ट्रीय राजधानी का राजनीतिक माहौल

by News Desk

एक दूसरे को मात देने के लिए सियासी पार्टियों की बनने लगी रणनीति

नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है। राजधानी में इस साल फरवरी में चुनाव होने हैं। अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चौसर बिछानी शुरू कर दी है। दिल्ली चुनावों के लिए अभी तक सबसे बड़ा दांव आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खेला है। मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य योजना संजीवनी के बाद अब हिंदुओं और सिखों को साधने के लिए पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की है। इसके तहत मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को उनकी सरकार 18 हजार रुपये प्रतिमाह सम्मान राशि देगी। केजरीवाल के इस कदम को लेकर कहा जा रहा है कि भाजपा के हिंदुत्व पर केजरीवाल ने कब्जा कर लिया है।
गौरतलब है कि अभी तक भाजपा भगवान राम के सहारे चुनाव लड़ती रही है। ऐसे में भाजपा को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए केजरीवाल ने भगवान की सेवा करने वाले पुजारियों को अपना सहारा बनाने की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि चुनावी मैदान में किसी रणनीति भारी पड़ती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव इसलिए बड़ा अहम होने जा रहा है, क्योंकि दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी आप के कई बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में रहे। खुद पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल कथित दिल्ली शराब घोटाले में करीब पांच महीने जेल में रहे। इस चुनाव में आप दिल्ली में जीत का चौका लगाने चाहेगी तो भाजपा भी दशकों बाद दिल्ली में वापसी के लिए प्रयास करेगी। पिछले दो बार से खाता न खोलने वाली कांग्रेस ने भी इस बार बड़े चेहरों को चुनाव मैदान में उतारकर कड़ी टक्कर देने की कोशिश करेगी।

हिंदुत्व की पिच पर फ्रंट फुट पर खेल रहे केजरी
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद हिंदुत्व की पिच पर फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी के बगल में जो खाली कुर्सी रखी गई है, उसे लेकर यह कहना कि जिस तरह भरत ने 14 साल तक श्री राम की खड़ाऊं रखकर अयोध्या का राजकाज संभाला, इसी तरह आतिशी भी दिल्ली में सरकार चलाएंगी, इसे भी आम आदमी पार्टी ने राम से जोड़ा है। केजरीवाल जब-जब जेल से बाहर आए हैं तब-तब उन्होंने पत्नी सुनीता केजरीवाल के साथ हनुमान मंदिर में हाजिरी लगाई है और वह लगातार अपनी सभाओं में कहते रहे हैं कि उनके ऊपर हनुमान और भगवान राम की कृपा है।

हिंदू नेता की छवि बनाने की कोशिश
पिछले कुछ सालों के घटनाक्रम को देखें तो यह समझ में आता है कि अरविंद केजरीवाल ने हिंदू नेता की छवि बनाने की कोशिश की है। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे सामने हैं जब केजरीवाल और उनकी सरकार के मंत्रियों और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने राम, हिंदुत्व और राम राज्य की बात की है। आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली सरकार के बजट को रामराज्य बजट कहा गया। आम आदमी पार्टी के विधायकों ने अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने से पहले हर मंगलवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का आयोजन कराया था। इस साल मार्च में जब आतिशी ने वित्त मंत्री रहते हुए दिल्ली विधानसभा में अपना बजट पेश किया था तो 90 मिनट के भाषण में कम से कम 40 बार राम और राम राज्य का जिक्र किया था। उस दौरान आम आदमी पार्टी ने सोशल मीडिया पर केजरीवाल का रामराज्य नाम से हैशटैग भी चलाया था। इसी तरह 2021 में दिवाली के मौके पर एमसीडी के चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार ने त्यागराज स्टेडियम में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण की 30 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया था। इसके अलावा आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली के बुजुर्गों को पिछले कई सालों से मुफ्त तीर्थ यात्रा भी करा रही है।

राम के वनवास का जिक्र
केजरीवाल ने बीते दिनों जब जंतर-मंतर पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया तो उन्होंने तिहाड़ जेल में रहने के अपने समय को राम के वनवास से जोड़ा। केजरीवाल ने कहा कि जब भगवान राम वनवास से आए थे तो सीता मैया को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी आज मैं अग्निपरीक्षा देने जा रहा हूं। केजरीवाल ही नहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े नेता मनीष सिसोदिया ने भी जंतर-मंतर पर कहा कहा कि वह केजरीवाल के साथ साथ लक्ष्मण की तरह खड़े रहेंगे।

भाजपा पड़ी असमंजस में
भाजपा इस बार दिल्ली में सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है और उसने आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और विधायकों को तोडक़र अपने साथ मिलाया है। भाजपा ने लगातार इस बात को कहा है कि केजरीवाल ही दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले के सरगना हैं। ऐसे में केजरीवाल के सामने मुश्किलें ज्यादा हैं। 2014 में केंद्र में सरकार बनाने के बाद से ही भाजपा ने हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को अपने एजेंडा में सबसे ऊपर रखा है। अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण का श्रेय भाजपा ने मोदी सरकार को दिया। भाजपा की कोशिश इसके जरिये हिंदू मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की है। दिल्ली में भाजपा ने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हराने की पूरी कोशिश की लेकिन केजरीवाल के नेतृत्व में उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

केजरीवाल को हिंदू विरोधी बताती है भाजपा
भाजपा कई बार केजरीवाल को हिंदू विरोधी बता चुकी है। द कश्मीर फाइल्स को लेकर केजरीवाल के बयान को भाजपा ने मुद्दा बनाया था और कहा था कि केजरीवाल ने सताए गए कश्मीरी हिंदुओं का मजाक बनाया है। भाजपा के इस फिल्म को टैक्स फ्री किए जाने की मांग पर केजरीवाल ने कहा था कि इस फिल्म को यू ट्यूब पर डाल दिया जाना चाहिए। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी को घेर रही है। केजरीवाल जानते हैं कि इस कथित घोटाले को लेकर भाजपा ने सोशल मीडिया से लेकर सडक़ तक उनके खिलाफ मजबूत किलेबंदी की है और अगर उन्हें दिल्ली में फिर से सरकार बनानी है और आम आदमी पार्टी को मजबूत करना है तो विकास के मुद्दे के साथ आगे बढ़ते हुए सॉफ्ट हिंदुत्व पर भी मोर्चा मजबूत करना होगा, वरना दिल्ली का चुनाव जीतना उनके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।

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