प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को 10 हजार भारतीयों का जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा राष्ट्र को सौंपा। यह उपलब्धि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर है। देश में आनुवंशिक विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाले जीनोम इंडिया डाटा पर भारतीय जैविक डाटा केंद्र (आइबीडीसी) के शोधकर्ता शोध कर सकेंगे। इससे जेनेटिक और संक्रामक रोगों के उपचार में मदद मिलेगी।
जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा- मोदी
जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित जीनोमिक्स डाटा कान्क्लेव में पीएम मोदी ने वर्चुअल तरीके से जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा देश को सौंपा। इस अवसर पर मोदी ने वीडियो रिकार्डेड बयान में कहा, मुझे विश्वास है कि यह जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
सटीक चिकित्सा तकनीकों के विकास को बढ़ावा मिलेगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा कि आईआईटी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (बीआरआइसी) जैसे 20 से अधिक संस्थानों ने इस अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह राष्ट्रीय डाटाबेस देश का अमूल्य वैज्ञानिक संसाधन के रूप में कार्य करेगा। इससे आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के उपचार में प्रगति होगी। इसके साथ ही नई दवाओं और सटीक चिकित्सा तकनीकों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
विभिन्न समुदायों की जीवनशैली पर शोध करने में भी मदद मिलेगी।इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्द्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक एवं स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव राजीव बहल तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले मौजूद रहे।
जीनोम माता-पिता से मिलते हैं
जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा के तहत न्यूक्लियोटाइड के क्रम का पता लगाया जाता है मानव जीनोम डीआक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) से बने होते हैं। हमारी कोशिकाओं में जीनोम 23 जोड़े गुणसूत्रों या क्रोमोजोम के रूप में होते हैं। हमें जीनोम माता-पिता से मिलते हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा के तहत डीएनए के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है। इसके अंतर्गत डीएनए में मौजूद एडानीन (ए), गुआनीन (जी), साइटोसीन (सी) और थायमीन (टी) के क्रम का पता लगाया जाता है।