इंदौर: भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड परिसर से पीथमपुर भेजे गए 337 टन जहरीले कचरे को जलाने के बाद प्रदूषण मानकों की निगरानी तीसरी एजेंसी (थर्ड पार्टी) से कराने की तैयारी चल रही है। इसके लिए नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) या किसी आईआईटी की मदद ली जाएगी।
थर्ड पार्टी जांच पर भरोसा – प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि प्रदूषण मानकों का स्तर पता लगाने में किसी तरह की कमी न रहे, इसके लिए थर्ड पार्टी की मदद ली जा रही है। पीथमपुर के लोग और जनप्रतिनिधि कचरा जलाने का विरोध कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें भी थर्ड पार्टी जांच पर भरोसा रहेगा। इसके अलावा भोपाल स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (नीर) को भी सरकार यहां शोध की जिम्मेदारी दे सकती है। नीर पहले से ही दिसंबर 1984 में भोपाल में छोड़ी गई जहरीली गैस (एमआईसी) के प्रभावों का अध्ययन कर रही है।
सरकार हाईकोर्ट को तैयारियों की जानकारी देगी
बता दें कि हाईकोर्ट के निर्देश पर कचरा जलाया जा रहा है। पीथमपुर में रामकी एनवायरो कंपनी के प्लांट में कचरा जलाया जाना है। इसे जलाने का विरोध जनता और जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। इस महीने कचरा पहुंचने के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट में पूरी स्थिति पेश की। इस पर कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है। 18 फरवरी को सरकार को कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट कार्रवाई रिपोर्ट पेश करनी है। इससे पहले जनता, बुद्धिजीवियों और प्रभावशाली लोगों को वैज्ञानिक तरीके से कचरा निपटान की प्रक्रिया और परिणामों के बारे में बताया जा रहा है।