रायपुर: बिलासपुर जिले के सरकंडा स्थित संत पीतांबरा पीठाधीश्वर मंदिर आज केवल भक्ति और आस्था का केंद्र नहीं रहा, बल्कि यह सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भर बनने की प्रेरक मिसाल भी बन गया है। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के तहत यहां स्थापित 5 किलोवाट का सोलर पैनल मंदिर परिसर को रोशन करने के साथ-साथ श्रद्धालुओं के मन को भी आलोकित कर रहा है।
कुछ समय पहले तक मंदिर समिति को हर माह तगड़ा बिजली बिल चुकाना पड़ता था। धार्मिक अनुष्ठान, सत्संग और रोजाना हजारों श्रद्धालुओं की आवाजाही के बीच मंदिर परिसर को रोशन रखना एक चुनौती बन चुका था। लेकिन पीएम सूर्यघर योजना ने यह चिंता पूरी तरह मिटा दी। अब मंदिर को रोशन करने के लिए किसी बाहरी बिजली सप्लाई पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। सूरज की रोशनी से बनने वाली मुफ्त बिजली से यह दिव्य मंदिर आलोकित हो रहा है।
सुबह जैसे ही सूरज की किरणें मंदिर परिसर की छत पर लगे सोलर पैनल को स्पर्श करती हैं, ऊर्जा संग्रहण होने शुरू हो जाता है। दिनभर की इस ऊर्जा से रात के समय पूरा परिसर जगमगा उठता है। जब श्रद्धालु रात में दीपमालाओं और सौर ऊर्जा से उज्ज्वल वातावरण में दर्शन करते हैं तो उनके चेहरे भी श्रद्धा और संतोष से दमक उठते हैं।
मंदिर के संरक्षक एवं अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज के अध्यक्ष आचार्य डॉ. दिनेश महाराज पीतांबरा पीठाधीश्वर ने बताया कि भारत भ्रमण के दौरान बहुत से स्थानों में उन्होंने सौर पैनल से बिजली बनते देखा और परिसर में इसे लगवाने का निर्णय लिया। वे कहते हैं कि यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक वरदान है। जिस तरह हमारे मंदिर की रोशनी आज सूरज की किरणों से आलोकित है, उसी प्रकार हर घर और हर स्थल को इससे जुड़ना चाहिए। यह आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक कदम है।
मंदिर के पास रहने वाले निवासियों ने कहा कि मंदिर में लगे सोलर पैनल को देखकर हमें भी प्रेरणा मिली है। अब हम भी अपने घर पर सूर्य घर योजना से सोलर पैनल लगवाने का विचार कर रहे हैं।
यह मंदिर अब केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता का संदेश देने वाला केंद्र बन गया है। इसकी सफलता ने आसपास के लोगों और संस्थाओं को भी प्रेरित किया है कि वे सूर्यघर योजना से जुड़ें। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना ने यह साबित कर दिया है कि सूरज की रोशनी न केवल घरों की छतों को, बल्कि विश्वास, परंपरा को भी रोशन कर सकती है। बिलासपुर का संत पीठाधीश्वर मंदिर आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता रहेगा कि जब आस्था और विज्ञान का संगम होता है, तो परिणाम ऊर्जा, उजाला और आत्मनिर्भरता के रूप में सामने आता है।