रायपुर: भारत आज ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग की दहलीज़ पर खड़ा है। जिस तरह स्वतंत्रता आंदोलन ने हर भारतीय को एकजुट कर आज़ादी का सपना साकार किया, उसी प्रकार अब स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भरता का यह अभियान भी हर घर की छत से जुड़कर नए भारत की रचना कर रहा है। इस अभियान का स्वरूप है प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा से देश को आत्मनिर्भर और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में काम किया है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी का विज़न केवल बिजली उपलब्ध कराना भर नहीं है, बल्कि नागरिकों को ऊर्जा उत्पादक बनाकर उन्हें सशक्त करना है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विज़न को धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी प्रतिबद्धता रही है कि इस योजना का लाभ हर नागरिक के घर-घर तक पहुँचे। राज्य सरकार ने सब्सिडी, तकनीकी सहयोग और व्यापक जनजागरूकता के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि अधिक से अधिक परिवार इस योजना से जुड़ें और आत्मनिर्भर बनें।
आज ऊर्जा केवल सुविधा का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण और पर्यावरणीय संतुलन की कुंजी बन चुकी है। इसीलिए यह योजना नागरिकों को उनके घर की छत पर ही अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का अवसर देती है। सौर ऊर्जा जैसी स्वच्छ और नवीकरणीय शक्ति अब सीधे लोगों के जीवन में बदलाव ला रही है। इससे न केवल पारिवारिक खर्चों में बचत हो रही है, बल्कि हरित भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है। कोरबा जिले में इस योजना से जुड़कर अनेक परिवार आत्मनिर्भर बने हैं। इनमें आर.पी. नगर के केशरवानी परिवार और रविशंकर शुक्ल नगर के डॉ. बी.पी. विश्वकर्मा के अनुभव विशेष रूप से प्रेरणादायक हैं।
श्री मनोज केशरवानी और उनकी पत्नी श्रीमती अन्नपूर्णा केशरवानी ने जब प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना की जानकारी प्राप्त की, तो उन्होंने तुरंत इसे अपनाने का निर्णय लिया। उनके अनुसार, यह योजना उनके परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं रही। उन्होंने बताया कि अब उनका घर पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित होता है। इससे पहले जहाँ हर महीने बिजली पर खर्च होता था, अब वह राशि बचत के रूप में परिवार की अन्य जरूरतों में उपयोग हो रही है। श्रीमती अन्नपूर्णा कहती हैं सौर ऊर्जा अपनाने से घर का वातावरण भी सकारात्मक हुआ है। हमें यह संतोष है कि हम अपने बच्चों को स्वच्छ ऊर्जा का महत्व समझा पा रहे हैं। श्री मनोज कहते हैं अब हमें बिजली बिल की चिंता नहीं रहती। यह योजना हमें आर्थिक राहत के साथ-साथ मानसिक शांति भी दे रही है। हमारी कोशिश है कि हम दूसरों को भी प्रेरित करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस योजना का लाभ लें। इस अनुभव ने केशरवानी परिवार को ऊर्जा आत्मनिर्भर तो बनाया ही है, साथ ही उन्हें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान करने का गर्व भी दिया है।
डॉ. बी.पी. विश्वकर्मा, जो रविशंकर शुक्ल नगर में रहते हैं, उन्होंने भी अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा अपनाकर अपने जीवन में बड़ा बदलाव महसूस किया है। वे बताते हैं कि योजना से जुड़ने के बाद उनके मासिक खर्चों में उल्लेखनीय बचत हुई है और घर में हमेशा निर्बाध बिजली आपूर्ति रहती है। उनके अनुसार हम अब ऊर्जा के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गए हैं। यह केवल एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है। जब हम प्रकृति से प्राप्त स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करते हैं, तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर वातावरण छोड़ने का कार्य करते हैं। डॉ. विश्वकर्मा का अनुभव दर्शाता है कि प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना केवल व्यक्तिगत जीवन में बदलाव नहीं लाती, बल्कि नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण की राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाने के लिए भी प्रेरित करती है।